कोरबा में 487 दिनों से धरना दे रहे हैं भू विस्थापित किसान।
– फोटो : संवाद

विस्तार

छत्तीसगढ़ के कोरबा में भू-विस्थापित किसानों का कोल इंडिया को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग पर पिछले 487 दिनों से उनका धरना जारी है। अब किसान बुधवार से भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं। इसकी जानकारी एसईसीएल प्रबंधन और प्रशासन को भी दे दी गई है। किसानों का कहना है कि रोजगार की मांग को लेकर वह चार दशक से एसईसीएल दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का गंभीरता से निराकरण नहीं किया जा रहा है। 

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत है। किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक विकास परियोजना के नाम पर करोड़ों लोगों को विस्थापित किया गया है। पुनर्वास और रोजगार के लिए भू विस्थापित परिवार भटक रहे हैं। कहा कि रोजगार देने का सपना दिखा कर जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण कर ली, लेकिन आजीविका का साधन जाने के बाद रोजगार के लिए किसान भटक रहे हैं।

किसान नेता ने कहा कि, पिछले चार दशकों से भू विस्थापित एसईसीएल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन नियमों का हवाला देते हुए रोजगार देने से इंकार किया जा रहा है। किसानों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। एसईसीएल प्रबंधन और सरकार सभी भू विस्थापित परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे, नहीं तो कोयला उत्पादन को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा। कोयला से जुड़े किसी भी अधिकारी और मंत्री के दौरे का भी विरोध किया जाएगा। 

भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और सचिव दामोदर श्याम ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वादे पर अमल नहीं कर रहा है । जिला प्रशासन के कार्यालयों में सत्यापन और अन्य दस्तावेज तैयार कराने के लिए भू विस्थापित महीनों चक्कर काट रहे है। अब भू विस्थापितों ने जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष और तेज करने का निर्णय लिया है। 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *