कुलपति डॉ. सदानंद शाही
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शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई में बीते दिनों अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर डॉ. सदानंद शाही ने कहा कि संसार में 7 हजार से अधिक भाषा हैं। जबकि भारत में लगभग 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं, 1635 मातृ भाषाएं और 234 पहचान योग्य मातृभाषाएं हैं। यूनेस्को ने इसकी घोषणा 17 नवंबर 1999 को की थी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से पूरे विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन बांग्लादेश ने अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी दर्शाता है। 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा के बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम को सुझा था।उन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुए हत्याओं को याद करने के लिये तारीख प्रस्तावित की थी। मातृ दिवस का उद्देश्य संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा और मातृभाषाओं को बढ़ावा देना है।
‘हर दो सप्ताह में एक भाषा लुप्त हो रही’
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा लुप्त हो जाती है और मानव सभ्यता अपनी सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत खो रही है। वैश्वीकरण के कारण बेहतर रोजगार के अवसरों के लिये विदेशी भाषा सीखने के लिए मातृभाषाओं के लुप्त होने का एक प्रमुख कारण है। प्रो. शाही ने कहा कि प्रत्येक भाषा एक सांस्कृतिक इकाई की उपज होती है, लेकिन कालांतर में प्रत्येक भाषा अपनी एक अलग संस्कृति का निर्माण करती हुई चलती है।
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में डॉ. ललित कुमार ने पत्रकरिता और मातृभाषा पर अपना बात रखें और प्रोफेसर (डॉ.) शिल्पी देवांगन ने छत्तीसगढ़ में, डॉ. रविंद्र कुमार यादव ने अवधी में डॉ. सारिका तिवारी ने अपनी मातृभाषा ब्रज में और छात्रा रागिनी नायक ने अपनी मातृभाषा उड़िया में अपनी परिचय दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविंद्र कुमार यादव, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग ने किया। इस कार्यक्रम में छात्रों और प्राध्यापकों उपस्थित रहे।