बीजापुर में वरुडा के ड्रोन के जरिए होगी खेती।
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पड़ोसी राज्य तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के बाद अब बीजापुर में ड्रोन से खेतों में कीटनाशक दवा छिड़काव की तैयारी की जा रही हैं। इसके लिए एक पखवाड़े पहले यहां केवीके ने किसानों को बुलवाकर इसका डेमो दिखवाया। किसानों ने इस पर दिलचस्पी दिखाई। अब दूसरा डेमो किसानों मिर्च के खेतों पर दिखाया जाएगा। इसके बाद जो किसान ड्रोन लेना चाहेंगे उन्हें पचास फीसदी सब्सिडी में ड्रोन उपलब्ध हो जाएगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख व वैज्ञानिक भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि आंध्र व तेलंगाना में ड्रोन के इस्तेमाल से खेतों में कीटनाशक दवा के छिड़काव का काम हो रहा हैं। उसी तर्ज पर यहां भी किसानों को ड्रोन पद्धत्ति से खेतों में कीटनाशक छिड़काव के लिए एक पखवाड़े पहले बैंगलूर की गरुडा एरोनॉटिक्स कंपनी ने किसानों को ड्रोन से खेतों में कीटनाशक दवा छिड़काव करने का डेमो दिखाया था।
इसे देखकर किसानों ने खासी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने बताया कि ड्रोन पद्धति से कीटनाशक छिड़काव जहां समय का बचत करवाएगी। वही कृषि मजदूरों की समस्याओं से भी किसानों राहत देगी। भूपेंद्र ठाकुर के मुताबिक यह ड्रोन दो मीटर क्षमता के साथ करीब 5 सौ मीटर दूरी तक रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट होगा। ड्रोन के उपयोग से किसानों को किट पतंगों के हमले से भी राहत पहुंचेगी। इसके लिए किसानों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि किसानों के प्रशिक्षित होने जाने के बाद जो किसान ड्रोन लेना चाहेंगे उन्हें 50 फीसदी सब्सिडी में यह ड्रोन उपलब्ध हो जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर कृषि विभाग के संयुक्त संचालक प्रताप कुसरे ने बताया कि जिले में कुल कृषि रकबा 84 हजार हेक्टेयर है जिसमे खरीफ सीजन में 77 हजार हेक्टेयर में फसल ली जाती है। इसके साथ ही रबी सीजन के फसलों में किसानों की दिलचस्पी अब बढ़ने लगी है। जिसका कुल रकबा 5 हजार 3 सौ हेक्टेयर है। बीते सालों की तुलना में नगदी फसल के रूप में सब्जियों की खेती अब शुरू हो रही है। जिले में 28 हजार 93 किसान हैं। जिनमे उन्नत किसानों की संख्या में अब बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
20 हेक्टेयर मिर्च की खेत में होगा डेमो
वैज्ञानिक व केवीके प्रमुख भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि मार्च के महीने में 4 दिवसीय डेमो करवाया जाएगा। इस बार तारलागुड़ा, कोत्तूर, नैमेड व हीरापुर के 20 हेक्टेयर मिर्च की खेत मे यह डेमो करवाई जाएगी। फील्ड में ड्रोन के उपयोग को किसान बेहतर तरीके से देख व समझ पाएंगे।